Friday, November 13, 2009

यह सुन्दर रचना करने वाला कौन है?


इस रचना का रचनाकार कौन?


एक रात जब मेरी उंगलियां कीबोर्ड पर जिमनास्टिक कर रही थी तभी मुझे इस अंधेरी रात में एक अपरिचित सी तेज़ आवाज सुनाई दी .........कुछ समय सन्नाटा और फ़िर वही आवाज, मैने कमरे से बाहर झांक कर देखा पर कुछ मालूम नही कर सका । किन्तु अब ये आवाज रह-रह कर तेज़ हो रही थी आखिर में मैने तय कर लिया कि अन्वेषण पूरा करना है अगल-बगल के कमरों की तलाशी ली, स्म्पूर्ण घर के अवलोकन के बाद बाथरूम के दरवाजे पर एक छोटा सा सुन्दर प्राणी दिखा जो खालिश हरे रंग का था । उससे मेरा पहले से परिचय था और जब उसे देखा था अपने जीवन में पहली बार तो कौतूहल की स्थित थी एक महीना पहले मदार के पौधे पर वृक्ष कहू तो भी अनुचित नही है ! ये प्राणी ऐसा लग रहा था जैसे किसी दूसरी दुनिया से आया हो, पत्तियों जैसा रंग और पत्तियों जैसे हरे पंख जिनमे शिरायें भी पत्ती की तरह चमक रही थी, प्रकृति का अतुल्य निर्माण, मुझे ऐसा लगा कि इस अदभुत जीव को किसने बनाया होगा और वह कितना अदभुत होगा? यहां मै रूमानी हो गया और ईश्वरवादी भी।

Who creates it ? This is God, This is Mother Nature !

मदार की हरी पत्तियों के मध्य मुझे अचानक इस धरती के एक और रत्न से परिचय हुआ, अपने Analogue SLR camera जिसमें Sigma का 300 mm Zoom lens है से तस्वीरे खींची और सोचा Negative print आ जाने पर इसको आईडेन्टीफ़ाई करूगां नही होगा तो तो अपने अन्य जीवविज्ञानी मित्रों से मदद लूंगा । किन्तु बात आई गयी हो गई।

आज जब इस अदभुत और इसकी पराग्रही सी लगने वाली आवाज ने मुझे और रोमान्टिक कर दिया फ़िर क्या था इस जीव से मेरा प्रेम और बढ़ा और इसी रात मैने इस रहस्य को जान लिया कि आखिर ये कौन है! लेकिन इसके बनाने वाले का पता नही चल सका ? यदि आप सब को कोई जानकारी मिले इस वाबत तो मुझे जरूर सूचित करे ।

एक जीवविज्ञानी होने के नाते इसका वैज्ञानिक परिचय भी दिये देता हूं।

 कैटीडिड (माइक्रोसेन्ट्रम रेटीनेर्व)

इसे अमेरिका में कैटीडिड् के नाम से पुकारते है। और ब्रिटिश शब्दावली में बुश-क्रिकेट के नाम से पहचाना जाता है । यह टैटीगोनीडी परिवार से ताल्लुक रखता है और इस परिवार का दायरा इतना बड़ा है कि इसमें 64000 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद है। वैसे इसको इन्सानी दुनिया में एक और नाम से बुलाते है "लान्ग हार्न्ड-ग्रासहापर किन्तु वास्तव में य जीव क्रिकेट से अत्यधिक नजदीक है बजाय ग्रासहापर के।

यह जीव और इसके रिस्तेदार मौका और हालात के मुताबिक अपनी रंग-रूप को ढ़ालने की क्षमता रखते है जैसे हरी पत्तियों के मध्य हरे, सूखे पत्तो के मध्य खाकी रंग के रूप में प्रगट हो जाते है है न जादूगर जैसा, पर बात फ़िर वही अटक गयी इसे बनाने वाला कितना बड़ा जादूगर होगा?

हां एक और बात यह जीव नर था। अब आप सोचेगे ये कैसे! दरअसल इस परिवार के नर ही इस अदभुत आवाज़ को निकालने की क्षमता रखते है । यह ध्वनि स्ट्रीडुलेशन अंगों द्वारा की जाती है और यह अंग नर में ही मौजूद होते है। इस परिवार की कुछ प्रजातियों की मादाओं में भी ये ध्वनि करने वाले अंग होते है।

हां यह परिवार ग्रासहापर से यूम अलग हुआ, कि इसके एन्टीना लम्बे लगभग शरीर की लम्बाई के मुताबिक व पतले होते है जबकि ग्रासहापेर में मोटे और छोटे।

टेरोफ़ाइला जीनस (पत्ती की तरह पंख वाला) में कैटीडिड्स शब्द  इस जीव की ध्वनि उत्पन्न करने की क्षमता की वजह से अमेरिका में प्रचलित हुआ, इसमें स्ट्रीडुलेशन अंग इस जीव की पीठ पर होता है जो आपस में रगड़ने से आवाज उत्पन्न करता है।

उत्तरी अमेरिका में इस परिवार की 250 प्रजातिया है किन्तु एशिया में इसकी अत्यधिक प्रजातियां मौजूद है।

नाना प्रकार के रूप बदलने की क्षमता वाले तमाम जीव है हमारी धरती पर, ऐसा मैने उसके बारे में भी सुना है कुछ ईश भक्तो से जिसने दुनिया बनाई!

 मेरी रूमानियत बढ़ रही है शने: शने: !

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन-२६२७२७
भारतवर्ष

1 comment:

रवि कुमार, रावतभाटा said...

आपकी यह खूबसूरत सी प्रविष्टि तो निस्संदेह आपकी ही रचना है मित्रवर...
रूमानीयत तारी है...