Sunday, August 31, 2008

क्या पुरा हिन्दोस्तान सडकों पर बस जायेगा

मै जब भी लखीमपुर से राजा लोने सिंह मार्ग से अपने गावं मैनहन के लिए चलता हूँ तो प्रकृति के वह सारे नज़ारे देखने कि कोशिस करता हूँ जो सड़क के दोनों तरफ़ दिखाई देते है सड़क दोनों तरफ़ झाडियों में खिले जंगली पुष्प बेले और विशाल वृक्ष जिनपर चहकती चिडियां और जाने क्या क्या जो .......... पर मेरे इस मार्ग पर २० वर्ष के निरंतर प्रकृति अवलोकन में अब बाधा आने लगी इसका जिक्र कुछ यूँ है .....मुझे अक्सर एक बात से बड़ी उलझन होती है जिसे मैं आज यहां टीपे दे रहा हूं जब मैं किसी सड़क से गुजरता हूँ जाहिर है सड़क से ही गुजरूगां, तो सड़कों पर बसते रहे लोगों को देखकर बड़ी खीझ होती है और लगाने लगता है कल हमारा सारा मुल्क क्या सडकों पर ही आजायेगा ये कैसा अनियोजित विकास होगा और कैसी बदनुमा शक्ल होगी इस विकास की ये तो भविष्य कि पीढियां देखेगी लेकिन आज जितना जो हो रहा है उससे नही लगता कि हम उसी विशाल और गौरवशाली सभ्यता के वारिस है जिसे सिन्धु घाटी सभ्यता कहते उस सभ्यता कि नगरीय सरंचना सड़के जलनिकास का प्रबंधन आदि आदि ...........अब आज के नगरो को देखिये जहां देखो लोंग बसते जा रहे है और कैसे भी बिना किसी सुनियोजित सोंच और व्यवस्था के खैर नगरों कि बात यहाँ नही करते बात है भारतीय मुख्य मार्गों की जहाँ लोंग शहरों और गावों से निकल कर इन सड़कों पर बसते रहे है और जिस तरह से यह अतिक्रमण करते है उससे लोगों का इन सडकों पर निकलना दूभर है ही और लगता है भविष्य में ये लोंग इन सड़कों को बजबजाती नालियों में तब्दील कर देगे फिर कभी भी आप घर से निकल कर प्रकृति का नज़ारा नही ले पायेगे तो तो आप को खेत-खलिहान दिखेगे और ही वन विभाग द्वारा कराया गया पथ वृक्षारोपण क्यो कि सडकों के दोनों तरफ़ अट्टालिकाएं होगी और इन भवनों के आगे बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान और इन प्रतिष्ठानों के सामने आने वाले वृक्ष तेजाब डालकर सुखादिये गए होगे जैसा कि अभी हो रहा है फिर क्या आप सैकडों मील का रास्ता एक नाली नुमा उपर से खुली कुछ कुछ पाइप जैसी सरंचना से होकर तय करेगे साथ ही इतने आबादी जो सड़क पर होगी के कारण आप के वहां कि गति निम्नतर होने पर भी लोंग आप से कर टकरायेंगे और भी जाने कितने झंझट होगे जिन्हें आप ख़ुद सोचियेगा मै यहाँ योरोप के मुल्को की मिशाल नही दूँगा कि कितना सुनियोजित विकास है ..........इस लिए नगरो और गावों की सीमायें निर्धारित होनी चाहिए क्यो हमारे मुल्क कि धरती इतनी कम नही है की हम सडकों पर आकर बसे इस लिए सरकार को सुनियोजित विकास के लिए कोई कोई पहल करनी होगी ताकि हिन्दोस्तान सडकों पर आने से बच सके और एक खूबसूरत मुल्क बन सके .......कहते है रोम एक दिन में रोम नही बना था ............


कृष्ण कुमार मिश्र
लखीमपुर खीरी