कल हिन्दी दिवस था और विदा भी हो गया मामला जस का तस, अब पूछियें कि हिन्दी दिवस और बेजुबान जानवर में क्य संबध है ? बताता हूं । हमारी तमाम बोलियां, लिपियां, दुनियां में हमें भाषायी मामलें में सबसे धनी बनाती है पर क्या धनी होने का खिताब हमें मिला नही हां ऊपर से गैरो ने हम पर मेहरबानी ? करके अपनी भाषा जरूर थोप दी बेजुबान समझ कर जैसे हम अखबारों में रोज़ ही पड़ते है फ़लां गाय, साड़, या कुत्ता या फ़िर हिरन आदि के बारे में मीडिया विशेषण लगाती है अवारा, बेजुबान वगैरह वगैरह.........क्या आप सब ने कभी सोचा कि इन्हे अवारा किसने बनाया इस धरती पर ये हम से पहले से है और हमने इनके घरों में घुस कर इन्हे बेघर कर दिया और हमारी जबान में ये अवारा हो गये !!! बेजुबान क्यो ? धरती पर ऐसा कोइ जीव नही है जिसकी कोइ भाषा न हो ये अलग बात है कि हमने अग्रेजी पड़ने में इतना वक्त जाया किया कि इनकी बेह्तरीन बोलियो से महरूम हो गये कोइ बात नही पर ये बेजुबान कैसे ! हम तो इतनी भाषाओं के धनी होने के बावजूद बेजुबानों की तरह अपनी जबान हिंदी के लिये लड़ते आये है पर हमें बेजुबान समझ कर कभी फ़ारसी तो कभी अंग्रेजी रटाई गयी और दुनिया की मेज पर हमें अगर कोइ बात कहनी होती है तो हम बेजुबानों की तरह या तो कुछ बोल नही पाते या फिर उन्ही की भाषा मे रिरियाने लगते है वाह क्या बात है .पर जब ये जानवर सदियों से अपनी अपनी बोली बोलते आ रहे है जिन मे लेशमात्र परिवर्तन हुआ हो शायद तब इन्हे हम बेजुबान कहते है अपनी अक्षमता के बजाय ...................!!
यहां मै किसी भाषा की बुराई नही कर रहा हूं आग्ल और फ़ारसी में दुनिया का बेह्तरीन साहित्य विग्यान भूगोल आदि आदि लिखा गया पर क्या हमने अपनी जुबान में ऐसे प्रयास किये ?
यहां मेरी अखबार और मीडिया के लोगों से गुजारिस है कि जबान वालों की जबान समझनें की कोशिश करे और प्रकृति में उनके सुन्दर गीतॊं को सुनने की कोशिश यकीन मानिये दुनिया के बेह्तरीन संगीत और गीत इस गीत के आगे फ़ीके पड़ जायेगे और धीरे धीरे आप इनकी बात समझने भी लगेगे ।
कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन
4 comments:
हिन्दी ऐसे ही आगे नहीं बढेगी .. हमें प्रयास तो करने ही होंगे .. ब्लाग जगत में कल से ही हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
प्रयास जारी रखने होंगे.
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
जागरुकता बढ रही है आशा है जल्दी ही हिन्दी तेज़ गति से आगे बढेगी शुभकामनायें जै हिन्दी जै भारत्
मिश्र जी आपका ब्लोग और आपका प्रयास बहुत अच्छा लगा . आप के सारे ब्लाग मैंने आज देखे आपने wildlife photography बहुत अच्छी लगी. जमीनी स्तर पर किया गया आपका कार्य सराहनीय है . मैंने भी अपने गाँव को वेब पर लाने की कोशिश की है . मेरे गाँव के flora and founa को आप वेब पर देख सकते है
birpurdiary.blogspot.com
qsba.blogspot.com
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