२- बाढ़ से पूर्व यहाँ तीन खरगोश थे जो इस फोटो में देख सकते है
३-बाढ़ में तीन दिनों से खडा ये चीतल मानो हमसे सहायता माग रहा हो
४-तीन दिन पूर्व बाढ़ से पहले पार्क में मौजूद हिरन (चीतल)
५- ब्लॉगर द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो का अवलोकन
६- ब्लॉगर द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो का अवलोकन
७- इंदिरा मनोरंजन वन में लेखक
चित्रों में दिख रहे बचे हुए सभी जानवरो को साउथ खीरी डी एफ़ ओ से कह कर बचा लिया गया यह कार्य करने के बाद मुझे बहुत आत्म संतुष्ट प्राप्त हुई
बाढ़ प्रभावित लोग जो सड़को पर बसेरा बनाए हुए है
अक्टूबर २००८ के आखिरी हफ़्ते में खीरी जनपद के बाढ़ ग्रस्त इलाकों के साथ साथ इंदिरा मनोरंजन वन का जायजा लेना शुरु ए किया नज़ारे अदभुत और करुण थे प्रकृति के सौन्दर्य और विकराल रूप के दर्शन एक साथ हो रहे थे एक तरफ़ जलमग्न बगीचें तालाब, नदी-नाले,फ़सले और जंगल तो दूसरी तरफ़ डूबे हुए गांव और सड़कों पर आशियाना बनाये लोग, पानी मे बहते जानवर, मृते
जीवों की उतराती लाशे, जल की विभीशिका भोग चुके लोगों के मुरझाये चेहरे, पटवारी से बाढ़ राहत के लिये नाम लिखवाती भीड़ और नेताओं की बड़ी गाड़िया, राहत सामग्री बाटने के नाम पर फ़ोटो खिचवाते लोग और इन अधमरे लोगो का शोषण करते कुछ मौका परस्त लोग, बंधा बनाने के नाम पर ठेकेदारों की भीड़.........................!!!
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सच्चाई ये है कि कोई भी वहां नही पहुचता जहां लोग इस आपदा को झेल रहे होते है सैकड़ों किलो मीटर तक फ़ैली बाढ़ और उसमे डूब चुके पूरे गांव के गांव जहां कोइ नही पहुंचता न नेता और न ही सरकारी अफ़सर और हां वहां आसानी से पहुन्चा भी नही जा सकता छप्परों और छतों पर फ़ंसे लोग खाली हो चुके गावों के बचे हुए कुत्ते जो छप्परों य छतों पर सहारा लिए भूख से चिल्ला रहे थे जंगलों मे डूबते उतराते हिरन जंगली सुअर और न जाने ्कितने जीव खैर यहां पर मै सिर्फ़ इन जानवरों की बात करना चाहूंगा क्यो कि इनका जिक्र मीडिया भी कम करती आई है!!
अक्टूबर २००८ के आखिरी हफ़्ते में खीरी जनपद के बाढ़ ग्रस्त इलाकों के साथ साथ इंदिरा मनोरंजन वन का जायजा लेना शुरु ए किया नज़ारे अदभुत और करुण थे प्रकृति के सौन्दर्य और विकराल रूप के दर्शन एक साथ हो रहे थे एक तरफ़ जलमग्न बगीचें तालाब, नदी-नाले,फ़सले और जंगल तो दूसरी तरफ़ डूबे हुए गांव और सड़कों पर आशियाना बनाये लोग, पानी मे बहते जानवर, मृते
जीवों की उतराती लाशे, जल की विभीशिका भोग चुके लोगों के मुरझाये चेहरे, पटवारी से बाढ़ राहत के लिये नाम लिखवाती भीड़ और नेताओं की बड़ी गाड़िया, राहत सामग्री बाटने के नाम पर फ़ोटो खिचवाते लोग और इन अधमरे लोगो का शोषण करते कुछ मौका परस्त लोग, बंधा बनाने के नाम पर ठेकेदारों की भीड़.........................!!!
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सच्चाई ये है कि कोई भी वहां नही पहुचता जहां लोग इस आपदा को झेल रहे होते है सैकड़ों किलो मीटर तक फ़ैली बाढ़ और उसमे डूब चुके पूरे गांव के गांव जहां कोइ नही पहुंचता न नेता और न ही सरकारी अफ़सर और हां वहां आसानी से पहुन्चा भी नही जा सकता छप्परों और छतों पर फ़ंसे लोग खाली हो चुके गावों के बचे हुए कुत्ते जो छप्परों य छतों पर सहारा लिए भूख से चिल्ला रहे थे जंगलों मे डूबते उतराते हिरन जंगली सुअर और न जाने ्कितने जीव खैर यहां पर मै सिर्फ़ इन जानवरों की बात करना चाहूंगा क्यो कि इनका जिक्र मीडिया भी कम करती आई है!!
krishna Kumar Mishra
1 comment:
आंखे खोल देने वाली खोजपरक पोस्ट। बधाई। जारी रखिए अपना अभियान।
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