Monday, August 25, 2008
An Ultimate Flower in Rural India
पदबिछुआ एक पुष्प जो किसी का भी मन मोह ले और इस पुष्प से मेरी मुलाक़ात १७ अगस्त २००८ को रक्षाबंधन के शुभ अवसर के एक दिन उपरांत हुई हुआ ये कि मैं और मेरी माता जी मेरे ननिहाल गए थे माँ को जो मामा के राखी बांधनी थी रात में मेरी जागने की आदत जिसमे ये इन्टरनेट की बड़ी कृपा है के कारण मैंने उस रात दो पुस्तके पढ़ डाली एक तो दयानंद सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश और दूसरी मेरे नाना पंडित राम लोटन शास्त्री की हस्तलिखित पुस्तक जो ब्राह्मण समाज पर आधारित है सुबह हुई नही कि मै गांव की सुबह का आनंद लेने उठ पड़ा और चल दिया गाँव की सड़क पर यहाँ चारो तरफ़ हरियाली ही हरियाली और सड़क के दोनों तरफ़ खेत जलमग्न, नज़ारा मन को भा रहा था लोग सड़को पर खड़े आपस में बातें कर रहे थे कुछ इधर उधर आ जा रहे थे क्यो की अब बरसात की अधिकता से सड़क ही बची थी जहाँ लोग बाग़ चहल कदमी कर सकते थे अपने घरों से निकालने के बाद ..............
कुछ दूर चलने पर इसी सड़क के किनारे एक बड़ी पत्ती वाला एक पौधा दिखा जिसमे बेहतेरीन गुलाबी रंग के पुष्प सुबह की मदमस्त हवा में हिचकोले खा रहे थे मैंने यह पुष्प अपने जीवन में पहली बार देखा लेकिन तभी मेरे एक मामा ने बताया की तुम बचपन में इन फूलों और इनके बीजों से खेला करते थे पर मेरी बालपन स्मृतियाँ विस्मृत हो चुकी थी और अब मेरा प्रकृतिवादी शोधार्थी मन इस पुष्प का विश्लेषण विज्ञानं की जबान में करना चाहता था मामा ने जब इसका देशी नाम बताया तो उसने मुझे और आकर्षित किया और इसके दो झुकाव दार दांत नुमा बीजों के बारे जिसे मैंने कभी खेल में प्रयोग किया होगा बताते है की बच्चे इन बीजों को एक दूसरे में फंसा कर जोर आजमायिस करते है क्यो की इन बीजों के दो घुमाव दार दांत बिल्कुल मानो किसी मांसभक्षी जानवर के कैनाइन दांत हो की तरह होते है और दो बीजों को आपस में फंसा देने पर कितनी भी ताकत लगाई जाए टूटते नही है और यही कारण है की ये बच्चों में प्रिय है खैर इस पुष्प वृक्ष का नाम है पदबिछुआ जिसके दो अर्थ है और बखूबी इसके नाम को परिभाषित करते है पद यानी पावं बिछुआ यानी श्रंगार का आभूषण जिसे महिलायें अपने पैर की अँगुलियों में धारण करती है और दूसरा अर्थ ये की पद यानी पावं में बिच्छू की तरह चुभने वाला बिछुआ क्योकि इसके दो मुडें दांत जो पैर में चुभ जाए तो निकालना मुस्किल हो जाए जैसे शेर के अगले दांत जो मांस में धसने के बाद उसे फाड़ देने पर ही बहार आ सकते है ........................................
पर न जाने क्यो मुझे लगता है की इस वनस्पति का विशेष औषधीय मह्त्व होगा वैसे तो प्रकृति में सभी वनस्पतीय विशेष और बिलक्षण गुणों से युक्त है पर इसमे मुझे कुछ खाश नज़र आता है हो सकता है इसके पुष्प और बीज की अद्भुत बनावट का आकर्षण हो ...........................
अंत में एक बात कहना चाहूँगा की वनास्पतिशाश्त्रीओ को नॅशनल पार्क और उद्यानों से हट कर गावों की वनस्पति पर भी ध्यान देना चाहिए क्योकि अभी भी गाँव की पुरानी बागों और झुरमुटों में झांकती अद्भुत
वनस्पतियाँ जिनमे जनकल्याण की तमाम खूबियाँ हो सकती है और ये विश्व के संज्ञान में नही है इस पुष्प से जुड़ी तमाम धार्मिक सामाजिक गतिविधियाँ और औषधीय महत्त्व के सन्दर्भ में --------------------
आप में से किसी को भी यदि इस पुष्प से सम्बंधित जानकारी हो तो मेरा ज्ञान वर्धन करने की कृपा करे |
कृष्ण कुमार मिश्र
लखीमपुर खीरी
9451925997
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