Tuesday, January 8, 2008

मोंगली मारा गया.......्नही मोंगली मारें गयें.........!!




एक मानुष द्वारा किया गया अमानवीय कृत्य ..........!

सियार जो हमारे पारिस्थितिकी तन्त्र का एक अहम हिस्सा है और द्वितीयक श्रेणी का प्रीडेटर इसका जिक्र जातक कथाओं से लेकर विलियम स्लीमैन के दस्तावेजों में मिलता है और इन्ही दस्तावेजों से प्रभावित हो कर रुडियार्ड किपलिन्ग ने जन्गल बुक की रचना की, और इन्हे इसी किताब पर नोबल प्राइज़ मिला, इज़िप्ट में सियार को मॄत्यु के देवता के रूप मे स्थापित किया गया है इन्हे अनुबिस के नाम से जाना जाता है अनुबिस को हमेशा काले सियार के रूप में दिखाया जाता है जबकि प्रकृति में काला सियार नही पाया जाता, यह सिर्फ़ भुरे रन्ग के होते है। इजिप्ट में काले रन्ग को रात्रि, पुनरनिर्माण, व मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। और यह रन्ग इस लिये और प्रासन्गिक है कि मृत शरीर की ममी बनने के बाद शरीर का रन्ग काला ही होता है इस कहानी के पीछे और सियारों के कारण ही इज़िप्ट में विश्व प्रसिध पिरामिड व विशाल मकबरें बन सके कारण यह था कि रेगिसतानी इलाकों मे रहने वाले लोग जब अपने पूर्वजों को दफ़नाते तो ये सियार उनकी लाशों को खोदकर खा जाते और यही कारण बना पिरामिडों के अविश्कार का कहते है आवस्यकता अविशकार की जननी होती है...................!!! ग्रीक के देवता हेओमेस और मोन्स्तेर सेर्बरौस भी गोल्डेन जैकाल के प्रतीक है।
भारत के ग्रामीण अचंलों में मान्यता है कि सियार सिन्घी जैसी चीज सियार के माथे मे होती है और जिसे भी यह प्राप्त हो जाये उसके जीवन में सुख संमृदध्ता आती है!!!!!!!!!!!!!!!!
बाइबिल में सियार को सिनिस्टर क्रियेचर माना गया है और कहा गया है कि यदि कोई धरती पर अन्धविश्वासी है उसे ये जीव का भोजन बनना होगा।
किन्तु हमारी जातक कथाओं में सियारों कि सह्रदयता के कई किस्से है जैसे कीचड़ में फ़न्से शेर को बचाना, एक मानव के बच्चे का अपने बच्चों की तरह पालना जो आज हमारें बीच मोगली के नाम से जाना जाता है...................... इस घटना में सियार नही मरें मोंगली मारा गया है और एक दो तीन .........नही पचासों मोंगली मारें गये है...........!!! हमने अपनी सभ्यता का हनन तो किया ही है लेकिन सियारो की सभ्यता का अपमान भी...............मोंगली वाली सभ्यता..............!!

जिला खीरी की धौरहरा तहसील के केशवापुर-कलां में तीन-चार तारीख की रात में एक ऐसी घटना घटी जिसे मानवता के मापदडं के मुताबिक कभी माफ़ नही किया जायेगा ! एक मानुष की खाल में अमानुष ने इस कृत्य को अन्जाम दिया यह आदमी एक बेल ( मिनी सुगर प्लान्ट)का मलिक है इसके इस कुटीर उद्य़ोग में गुड़, प्रेसमड(मई),मोलैसेस(सीरा), बगास आदि चीजों का उत्पादन होता था और इन्ही मीठी वस्तुओं के लालच में सियार यहां आते जाते रहते थें ये निरीह जीव नुकसान के नाम पर बस मई(प्रेसमड) व बेकार पड़े सीरें व अन्य उत्पादों को खा लेते थे लेकिन इस व्यक्ति को यह भी बर्दास्त नही हुआ और एक रात इसने इन्ही खाद्य पदार्थों में खतर्नाक जहर मिला दिया नतीजा यह हुआ कि एक एक कर यह निरीह सियार (जैकाल) आते रहे और उस जहर मिले प्रेसमड व सीरे को खाकर मरते गये यह सिलसिला दो दिन तक लगातार चला जब ग्रामीणों ने अपने खेतों में यहां वहां सियार मरे हुए पड़े देखे तो बात फ़ैलना शुरू हुई बात पत्रकारों तक पहुन्ची तब वन विभाग ने घटना को संग्यान में लिया और मौके पर पहुन्च कर उस व्यक्ति के विरुद्द वन्यजीव अधिनिअम के अनुसार विधिक कार्यवाही की किन्तु अभी तक वह व्यक्ति फ़रार है






इस घटना में तकरीबन ५० सियार (कैनिस अरिअस इडिंकस) के अलावा तमाम कौएं, चील व कुत्ते भी मारे गये, कारण जब इन सियारों ने जहर खाया तो कुछ तो उसी स्थान पर जहर की तीव्रता के कारण मर गये और कुछ दूर खेतों में जाकर मरे और इन के जहरीले मांस को खाने वाले जीव जैसे कुत्ते, चील, कौये भी मर गये! इस ह्र्दय विदारक द्रश्य को देख कर कोइ भी द्रवित हो जाये अब आप बताये कि जिस भारतीय सभ्यता में बिल्ली मौसीं कौआ मामा व हर जीव में पुर्वजों की आत्मा के वास होने की बात कही गयी हो जहां ८४ लाख योनियों (स्पेसीज) में आत्मा के एक ही स्वरूप की बात कही गयी हो वहा पर ऐसी वीभत्स व क्रूर घटनायें मानवों द्वारा घटायी जा रही हो तो हम कैसे अपनी धरती मां की इन सन्ततियों को बचा पायेगे जो हमारे सहोदर भी है ...............धर्म के अनुसार भी और डार्विन के विग्यान के अनुसार..............!!!






3 comments:

Srijan Shilpi said...

वाकई हृदय विदारक और क्षोभकारी घटना है। अभियुक्त के खिलाफ उपयुक्त क़ानूनी कार्रवाई और उसे जरूरी सजा दिलाने के लिए स्थानीय जागरूक लोगों को मामले के पीछे जोर-शोर से लगे रहना पड़ेगा। वरना, भ्रष्टाचार का आलम इस कदर है कि मिल मालिक पुलिस और सरकारी वकील को अपने अनुकूल करके आसानी से बच निकलने की कोशिश अवश्य करेगा।

आपके चिट्ठे पर आकर अच्छा लगा। आप जैसे पर्यावरण एवं वन्य विशेषज्ञ ब्लॉग के माध्यम से जनजागरूकता पैदा करने में बहुत कारगर हो सकते हैं।

anuradha srivastav said...

वाकई दर्दनाक कृत्य ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिये।

htpp---ecoworrier.blogdrive.com said...

I cant understand why the mill owner had to mix poison in the mollasses on his field. WHat harm were the animals causing to him.
Another thing is - Is sugar harmful or not for canine animals?

Till now I hadnt undersrood the meaning of the word Mowgli But now I did After I came to ypur hindi blog.
http://ecoworrier.blogdrive.com