Friday, September 12, 2008

एक अदभुत कवक


एक नायाब रत्न भारतीया जैव विविधिता का
१० तारीख २००८ सुबह मुझे खेरी जनपद के मितौली ब्लाक से एक रिपोर्टर ने फ़ोन किया की उसने वहां कोई अजीब चीज देखी है मामला पृकृति से संबंधित था सो मैंने कैमरा उठाया और चल दिया उस गाँव जहाँ ग्रामीण जमीन से निकले शिव लिंग नुमा आकृति से घबराए हुए थे इस वस्तु से सड़े मांस की गंध आ रही थी जाहिर है तमाम मक्खियाँ इस पर भिनभिना रही थी ख़ास बात ये कि ये लिंग नुमा आकृति एक नही कई थी जो सफ़ेद अंडाकार गुल्लियों से निकल रही थी ग्रामीणों ने इन्हे एक घेरे में सुरक्षित कर लिया था और लोग इसे देखने के लिए मज़मा लगाये हुए थे जब मै वहां पहुँचा तो एक महिला विस्मयकारी दृष्टी से इसे निहार रही थी मेरी नज़र ज्यों ही इस वस्तु पर पड़ी मै मंत्र मुग्ध होकर इसे निहारता ही रहा इतनी खूबसूरती मैंने इस प्रकार कि चीज़ में कभी नही देखी थी कच्ची दीवार की नींव में गोल गोल अंडाकार रचनाओं से लिंग नुमा सफ़ेद व् लाल रंग की रचनाये स्फुटित हो रही थी
हकीकत में यह एक कवक था जिसे अंग्रेज़ी में फंगी या फंगस कहते है पर था तो यह एक मशरूम ही या फ़िर अखाद्य मशरूम जिसे गाँव में लोग कुकरमुत्ता कहते है ही की प्रजाति जीवविज्ञानी होने के नाते मैंने अपने अध्ययन के दौरान इस तरह की फंगस के बारे में नही पढ़ा था और अपनी जंगल यात्राओं में भी कभी नही देखा था हाँ जब मुझे अँगुलियों सदृस तेज गंध वाली संरचनाओं के बारे में बताया गया था तो एकबारगी मेरे मन आया की हो न हो ये डेड मैन्स फिंगर फंगस हो सकता है पर वह दिखने में बदसूरत होता है मैंने वहां कुछ तस्वीरें ली और लखीमपुर आकर इंटरनेट खंगालना शुरू किया साथ ही अपने पुस्तकालय की पुस्तके खंगाली नतीजा सामने ये आया की ये तो स्टिंक हार्न फंगस है यानी सींघ नुमा बदबूदार फंगस इसका वैज्ञानिक नाम म्युतिनस बैम्बुसिनस है इसकी तमाम प्रजातीयाँ है जो रंग व् आकार प्रकार में बहुत मिलाती जुलती है एक और प्रजाति है डेविल्स दिप्स्तिक जो काफ़ी समानता रखती है म्युतिनस बम्बुसिनस से, बहुत ऊहापोह के पश्चात् मैंने इसे कई वैज्ञानिक संस्थानों को भेजा साथ ही दिल्ली में आई आर जी संगठन के वैज्ञानिक डाक्टर कृष्ण कुमार को भी तस्वीर के साथ सूचित किया
इतनी मेहनत का कारण बताता चलू आप को की एक कुकरमुत्ते के पीछे क्यो भागा ये आदमी इसकी वजह है की अभी तक यह प्रजाति भारत में दर्ज नही की गई शायद यह पहली खोज होगी म्युतिनस बम्बुसिनस की अपने मुल्क में दूसरी वजह ये की जब तक हम अपने आस पास की चीजो को ध्यान से नही जांचे परखे गे तो उनके गुण दोषों की जानकारी प्राप्त नही होगी और बिना जानकारी के हम इन सब से होने वाले लाभों से वांछित रह जायेगे एक और बड़ी वजह है की जब अमेरिका हल्दी या नीम पेटेंट कराने की बात करता है तो हम हल्ला मचाते है और हमारी कोई नही सुनता इसके पीछे यही वजह है की हम अपने प्राकृतिक खजाने को अनदेखा करते चले आ रहे है न तो हम इसका अध्ययन करते है और न ही इसे सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों में दर्ज करते है नतीजा ये होता है हमारी संपदा पर जब कोई डाका डालता है तो हमारे पास उस चीज़ को अपना कहने का और दूसरो को यह मनवाने का कोई सबूत नही होता, भारत की अतुल्य जैव विविधिता का अध्ययन और संरक्षण निहायत जरूरी है क्यो की दुनिया में हमसे कही अधिक मेहनती और दिमागदार लोग है जो हमें हमारी ही चीजों से वांछित कर देने की माद्दा रखते है, हमें उनसे आगे निकलना है|

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन लखीमपुर खेरी
9451925997