Saturday, February 9, 2008

सड़क हादसे में एक और वाघ की मौत


सात तारीख की रात में मैलानी रेंज की मुरेहना बीट में आसाम रोड के किनारे एक वाघ सम्भवता किसी भारी वाहन से टकरा गया जिसमें उसकी मृत्यु हो गयी आठ फरवरी २००८ की दोपहर में जब वनकर्मियों को पता चला तो इलाक़े के तमाम नागरिक उस वाघ को देखने के लिए जमा हो गए सड़क पर ट्राफिक जैम हो गया मीडिया और वनविभाग का अमला भी मौक़े पर पहुंचा लेकिन दुधवा नेशनल पार्क का कोई बड़ा अफसर वहा नही पहुंचा और ना ही जिला प्रशासन का कोई अफसर जबकि जिले के तमाम आला अफ़सरान को वन्य जीव प्रतिपालक का अखितियार हासिल होता है और उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी ! यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि वन्य जीव अधिनियम १९७२ के अंतरगत वन्य जीव विहारों व अन्य संरक्षित क्षेत्रों में जहाँ वन्य जीवन मौजूद है वाहन से गुजरानें वाले वाहनों की गति नियंत्रित होनी चाहिए किन्तु यहाँ एसा बिल्कुल नही है क्यो कि इन नियमो को सामान्यता कोई जानता नही है और इंतजामिया द्वारा इनके पालन पर कोई विशेस बल भी नही दिया जाता नतीजा यह है कि आये दिन कोई न कोई निरीह वन्य पशु इन भारी वाहनों की चपेट में आ जाते है खेरी बहरैच व पीलीभीत जनपदों में जहाँ जंगल व जंगली जीवों की अधिकता है वहाँ ये घटनाएँ अक्सर घटती रहती है एक तरफ तो प्रोजेक्ट टाइगर के तहत सरकार करोडों रुपयों को खर्च कर रही है और वैश्विक समुदाय तमाम अनुदानों द्वारा धरती पर बाघ की इस ख़ूबसूरत प्रजाति को बचाने के प्रयास कर रहा है तो दूसरी ओर हमारे देश का राष्ट्रीय पशु होने का दर्जा प्राप्त यह जीव अपने अस्तित्वा को खोता जा रहा है अभी हाल में ही कतारानिया घाट वन्य जीव विहार में एक बाघ रोड एक्शिदेंत में मारा गया ...................!!!!
कुल मिलकर इस विकट समस्या के समाधान में जल्दी प्रयास न किये गए तो बाघों को बचा पाना मुश्किल होगा वन विभाग और पुलिस कि सहायता से वन्य जीवन वाले इलाकों में वाहनों कि गति पर सकती के साथ प्रतिबंध लगाया जाय और ग़ैर सरकारी संगठनों को चाहिए कि इमानदारी से इन इलाकों में जागरूकता अभियान चलायें ताकि लोग अपने देश कि अतुल्य प्राकृतिक संपदा के मूल्य को समझ सके! क्यो कि हम मानव बिना इन जीवों के अकेले इस धरती पर नही रह सकते यह बात हमें ढंग से समझ लेनी चाहिए !!!!!!!!!!!!!!!



कृष्ण कुमार मिश्र
9451925997