Friday, June 20, 2008

क्या धरती पर एलिअन्स मौजूद है

कृष्ण कुमार मिश्र

क्या सच में अन्तरिक्ष प्राणी हमारी धरती पर आते है ? कोई है जो इनका सच जान सकता है क्या आप उससे जुडना चाहेगे?

क्या आप एलिअन्स से बात करना चाह्ते है उन्हे सुनना चाहते तो आओ चले अनंत अंतरिक्ष मे गूंजती इन आवाजों के पास क्या पता कभी आप को कुछ सुनाई पड जाये! सदियो से मनुष्य आसमान की तरफ़ निहारता रहा है और अपने जैसे प्राणियों की व धरती जैसे लोकों की परिकल्पना कभी तो इन्द्र व इन्द्रलोक के रूप में तो कभी स्वर्ग व नर्क के रूप में यहां तक कि मानव ने ग्रहो में भी अपने जैसे स्वरूप की परिकल्पना कर डाली तभी तो हमारे यहां बच्चों को चंदा मामा के गीत सुनाये गये हम ने सुर्य, मंगल, शनि, बृहस्पति आदि ग्रहों को देवता मानकर मानव आकृति में ढालने की सदैव कोशिस की पर हमारी इन परिकल्पनाओं में क्या सच्चाई है इस बात का पुख्ता सबूत कोइ भी अन्तरिक्ष प्रयोगशाला नही दे पायी सिवाय कुछ संदेहात्मक संकेतो के, लेकिन योरोप में जमीन पर बनने वाले विशाल चिन्ह, उडन तस्तरिओं का देखा जाना और अब तो दूसरे ग्रह के प्रानी यानी अलिअन्स की तस्वीर खीचे जाने का भी दाव किया जा रहा है एक्स फ़ाइल जैसे धारावाहिकों ने भी जनमानस में एलिअन्स की परिकल्पना को और मजबूत किया बताते है की एक्स फ़ाइल वास्तव में अमेरिकी खुपिया एजेन्सी सी आई ए की गुप्त रपट है जो लीक हो गयी जिसमे अलिअन्स और उडन तस्तरीयों के बारे में जानकारी थी जिसे आम जनता से छुपाया जा रहा था। ऐसा नही की एलिअन्स और उनकी उडन तस्तरी योरोप य अमेरिका में ही आती है अवश्य ये भारत में भी आते होगे आप भी फ़ुरसत के छडों मे आसमान मे नज़र दौडाये जाने कब आप को कुछ दिखाई दे जाये !!!!

क्या आप इस ब्रह्मांड में अकेले है? यह एक अहम सवाल है जो मानव सभ्यताओं में सदियों से चर्चित रहा है और शायद इसी सवाल ने हमें आसमान की तरफ़ देखने व वहाँ कुछ खोजने के लिये प्रेरित किया और यही पर प्रदुर्भाव हुआ खगोल विज्ञान का फिर क्या था वैज्ञानिक तकनीक के विकास के साथ साथ सौर्य मडंल, तारा मडंलों आकाश गगांओं और असंख्य तारों की खोज होती चली गयी किन्तु वह सवाल अभी भी हमारे सामने सिर उथाये खडा है कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले है? शायद नही और इस बात को और मजबूती दी एक युवा वैज्ञानिक फ़्रैन्क ड्रेक ने एक समीकरण देकर जिनका मानना है इस ब्रह्मांड में तमाम सभ्यतायें मौजूद है और इसी विचारधारा को आधार मानकर उन्होने एक प्रोजेक्ट की शुरुआत सन 1960 में की किसका नाम ओज़मा रखा जो फ़्रैन्क एल बाम की पुस्तक ओज़ पर आधारित था उन्होने दुनिया के विशालतम रेडिओ टेलेसिकोप स्थापित किये जिनकी चौडाई 85 फ़ुट है और इन्हे अन्तरिक्ष से अजीब अजीब आवाजे सुनाई देने लगी फ़िर इनका यह मिशन आगे बढ़ता गया इनकी रिसर्च की मुख्य परिकल्पनायें थी कि क्या इन खरबों ग्रहों में किसी पर जीवन नही होगा, क्या ब्रह्मांड में सिर्फ़ हमारी मानव सभ्यता के अलावा कोइ सभ्यातायें नही है, क्या इस विशाल ब्रह्मांड में कोइ ऐसा ग्रह नही जो जीवन को स्थापित करने की क्षमता नही रखता? इन्ही सब सवालों की खोज में बर्कले कैलिफ़ोर्निया में “सेटी” इन्स्टीट्युट की शुरुवात हुई सेटी यानि ’सर्च फ़ार एक्स्ट्रटेरीस्ट्रिअल इन्टेलीजेन्स’ और ४५ वर्षो में ब्रह्मांड की तमाम आकाश गंगाओ से आती हुई आवाजों को रिकार्ड किया कभी कभी सेना के लडाकू जहाजों से आने वाली आवाजे भी रिकार्ड होती थी आकाश गंगाओं में संभावित सभ्यताओं की खोज के लिये माइक्रोसाफ़्ट ने भी करोडों रुपये अनुदान के तौर पर दिये जिससे सेटी ने छोटा व दस गुना अधिक ताकतवर रेडिओ टेलिस्कोप “अलेन टेलिस्कोप एरे (ए०टी०ए०) लगाया जिसमे दर्जनों सौर्य मडंलों का एक साथ अध्ययन करने की क्षमता है।

बाद में सेटी की सबसे बडी सफ़लता बनी पीयर टू पीयर तकनीक जिसमे तमाम कम्प्युटर एक साथ जोडे जा सकते है सेटी ने तकरीबन 2.5 मिलिअन कम्प्युटरों को एक साथ अपने प्रोजेक्ट से जोड दिया अब क्या था लाखों लोग एक साथ अन्तरिक्ष से आती आवाजो को सुन सकते थे इस कार्य के लिये उन्हे बस सेटी की वेबसाइट से एक छोटा सा स्क्रीन सेवर अपने कम्प्युटर में इन्स्टाल करना होता है और आप जुड जाते है इस महान खोज में सेटी के साथ। हाँ एक और बात जब ये कम्प्युटर एक साथ चल रहे होते हो तो लाखो निगाहे उन सुदूर ब्रह्मांड से आती आवाजों का अध्ययन कर रही होती है साथ ही उन सभी क्म्प्युटरों की प्रोसेसिग छमता का आकंलन करने पर यह छमता दुनिया के सुपर कम्प्युटर के बराबर हो सकती है यदि आप एलिअन्स की खोज का हिस्सा बनना चाहते है तो आप इस प्रोजेक्ट से जुडने के लिये सेटी की वेबसाइट पर लाग इन कर सकते है पता है http://setiathome.ssl.berkeley.edu/ इस साइट पर जाकर आप स्क्रीन सेवर डाउनलोड कर कम्प्युटर में इन्स्टाल कर दूसरे ग्रहों से आती आवाजों को सुन सकते है आप के कम्प्युटर स्क्रीन पर रंग बिरंगी ध्वनि तरंगों की ग्रफिकल तस्वीरें आती रहेगी पता नही कब आप को किसी सुदूर ग्रह के प्राणी की आवाज सुनाई दे जाय! कुछ वर्ष पहले सेटी संस्थान का यह प्रोजेक्ट धन के अभाव में औपचारिक तौर पर तो बंद कर दिया गया पर अनौपचारिक तौर पर उनकी खोज जारी है जिसमे शामिल होकर आप उनका हौसला बढा सकते है साथ ही सेटी में आप अन्य वैज्ञानिक शोधों में भी हिस्सा ले सकते है सेटी को अपने ५० वर्षों के अधययन में हमेशा चुनौतियां मिलती रही की आखिर अब तक उन्हे दुसरे ग्रह के प्राणी का स्पष्ट सन्देश क्यो नही प्राप्त हुआ किन्तु सेटी प्रमुख फ़्रैन्क ड्रेक ने आशा नही छोडी, आप को उडन तस्तरी व एलिअन्स के बारे में इंटरनेट पर तमाम वेबसाइटें मिल जायेगी जो एलिअन्स की कहानिया कहती है पर सेटी ने वैज्ञानिक तौर पर यह प्रयोग शुरू किया

कई वैज्ञानिकों ने यह भी सवाल खडे किये कि अगर हमारी धरती पर करोडों प्रजातियां है जो करोडों वर्षों में विकशित हुई क्या किसी में दूसरे ग्रह के प्राणी को शरण देने की क्षमता है और यदि होती तो अभी तक करोडो वर्षों में और करोडों प्रजातियो के जीवों मे कोई एलिअन्स दूसरे ग्रह का जीव क्यो नही पनपा, पर क्या मालूम एलिअन्स हमारे बीच मौजूद हो किसी जीव के रूप में और वह हमारा अध्ययन कर रहे हो और हम उन्हे न जान प रहे हो…….!!!!!!!

The Drake Equation

N = R (sub *) x f (sub p) x n (sub e) x f (sub l) x f (sub i) x f (sub c) x L

N= observable civilization in the Milky Way

R(sub *)= the number of stars like earth’s sun born in the milky way each year.

f(sub p)= the fraction of those stars with planets.

n(sub e)= the number of planets in each planetary system that are earthlike.

f(sub l)= the fraction of earthlike planets that actually develop life.

f(sub i)= the fraction of planets with life that develops intelligence.

f(sub c)= the fraction of planets with intelligent life develop technology.

L= the life time, or number of years, an observable civilization exists.

कृष्ण कुमार मिश्र

७७ शिव कालोनी कैनाल रोड लखीमपुर खेरी-२६२७०१

सेलुलर : ९४५१९२५९९७

दिनांक: १७ जून २००८

1 comment:

Anonymous said...

ehh. good thread ))