Tuesday, August 28, 2012

कुछ नुकूश लाया हूं, इस कायनात से....कृष्ण




दुधवा नेशनल पार्क के बीच से गुजरती वह सड़क जो नेपाल देश को जाती है, उस पर बने सुहेली के पुल के समीप ये नज़ारा है, कमल के गहरे हरे पत्तों पर पड़ी बारिश की बूंदे, जो जहन को ....पाकीजगी का एहसास कराती है।--कृष्ण



ये दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के जंगल है, जहां सुहेली में सिल्ट की अधिकता की वजह से जल भराव तकरीबन पूरे वर्ष रहता है, नतीजा सामने है कि दरख्त अपनी  जिन्दगियां खो चुके है, और यह जगह एक विशाल जलाशय की जगह ले चुकी है, और इसमें उग  आयी है कई तरह की घासें और खूबसूरत कमल..."जीवन तो अपनी जगह तलाश ही लेता है बस रूप बदल जाते हैं" --कृष्ण






जब बारिश का मौसम आता है, तो आसमान की खूबसूरती कुछ यूँ हो जाती है, कि हम नदियों के देश में रहने वालों को समन्दर सा एहसास होता है, इन बादलों को स्वच्छ नीले आसमान में उमड़ते घुमड़ते देखकर....कृष्ण




क्या ऐसे सेब कभी देखे.....हां ये एक ऐसी वनस्पति है? जो दुधवा के जंगलों में मौजूद है और बारिश के दिनों में ही फ़लती हैं।....कृष्ण




इस हरियाली में कौन दीवाना न हो जाए: 



इन माँ-बेटे को देखिए बड़ा उत्सुक है हमारी हरकतों में।




यह शायद एक तस्वीर है साधारण सी, जिसे कलात्मक बनाने की भी कोशिश की मैने...किन्तु इस तस्वीर के आखिरी छोर पर देखिए जो हरी मुड़ेर सी दिख रही है, वह किशनपुर वन्य जीव विहार है, और इस नाव पर रखी हुई घास जो इस जल के मध्य उस टापू की है जिस पर पानी दस्तक नही दे पाया इस बार अभी..जानते है ये टापू पर कभी एक गां बसता था बोझवा (भीरा के निकट जनपद -खीरी) लेकिन शारदा मैया के प्रकोप ने इस गांव को नष्ट कर दिया। अब गांव वाले भीरा पलिया सड़क पर झोपड़ियां बना कर बसर कर रहे हैं.....कृष्ण

 बस आज इतना ही......



कृष्ण कुमार मिश्र
दूरभाष: 09451925997