Wednesday, November 4, 2009

मिठ्ठू लाल जी और प्रवासी पक्षी


ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती-जुलती है
कहीं भी शाख़े-गुल देखे तो झूला डाल देती है|

"मुनव्वर राना"


४ नवम्बर २००९ मै शाह्जहांपुर पहुंचा कार की मरम्मत करवाने किन्तु मेरे इरादे और भी थे जिसमें एक था मिठ्ठू लाल जी से मुलाकात करना, अब पूछिये ये मिठ्ठूलाल कौन है ?

ये ७५ वर्ष के बुजुर्ग है जो अपनी रिवाल्वर "Webley & Scott" डालकर प्रत्येक सुबह उस बगीचे में आ जाते है जिसके ठीक सामने एक तालाब है जो मिठ्ठूलाल जी द्वारा ही निर्मित है और इसी जगह कुछ कमरे भी निर्मित है और बगल में एक शिवाला, यानी मिठ्ठूलाल जी महादेव की शरण में भी है !आप कभी राइस मिल और ईट भट्टा मालिक थे, इसी भट्टे से ईट के लिये निकाली गयी मिट्टी से बना गढ्ढा अब तालाब में तब्दील हो गया है, और प्रवासी पक्षी  वर्ष के चार महीने के बसेरे के लिये हजारों मील दूर से यात्रा करके मिठ्ठू लाल के इस तालाब को अपना घर बनाते है------"ईट भट्टे का यह गढ्ढा अब तब्दील हो गया है रंग-बिरंगे पक्षियों का स्वर्ग"

गौर तलब बात यह कि मानव बस्ती के निकट हज़ारों विदेशी चिडियों का प्रवास स्थल सुरक्षित है जहां कोई इन्हे हानि नही पहुंचा सकता। क्योकि मिठ्ठूलाल जी जो है ।
यहां रह रहे मिठ्ठूलाल जी के नौकर भी इनके सरंक्षण में अपना योगदान देते है!
एक वाकया मिठ्ठूलाल जी ने बताया कि एक दरोगा इन पक्षियो का शिकार करने आया उनके मना करने पर बोला ये तो "आवारा चिड़ियां" है मिठ्ठूलाल बोले अच्छा ! ये आवारा है ! ये मेरी चिड़िया है ! ये तालाब मेरा है ! तो वह दरोगा बोला अच्छा जब ये उड़ेगी तब इन्हे मै मार दूंगा, मीठ्ठूलाल् ने रिवाल्वर निकालकर कहा मै तुम्हे मार दूंगा !
देखिये अब आप लोग ही देखिये ये मनुष्य कितना बेवकूफ़ व जालिम हो चुका है वह प्रकृति की हर वस्तु को अपना गुलाम बनाना चह्ता है और खुद उस वस्तु का मलिक चाहे वह सजीव क्यो न हो उसे वस्तु ही लगती है!
इस धरती पर जितना मनुष्य का हक है उतना किसी और जीव का भी फ़िर चाहे वह हिरन हो चिड़िया हो या सांप किन्तु हम सबके मालिक बनना चाह्ते है या किसी न किसी के अधिकार में उस जीव को स्वीकार करना चाहते है तभी तो मिठ्ठूलाल को दरोगा से कहना पड़ा कि ये मेरी चिड़ियां है! तब जा के इस स्वंतंत्र पक्षियों की जान बच सकी !!
खैर मीठूलाल जैसे व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी होगी समाज़ को, तभी प्रकृति के विनाश को रोका जा सकता है और सरकार को भी ऐसे लोगो को प्रोत्साहन देना होगा " पक्षी मित्र" जैसे पुरस्कारों से अलंकृत करके ! ताकि अन्य लोग संरक्षण के महत्व को समझ सके!

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन-262727
भारतवर्ष
9451925997