Tuesday, September 15, 2009

मोहल्ला


कल की बात है मैं घर मे बैठा एक आगुन्तक से बाते कर रहा था की फ़तिमा और छबीली ने भौकना शुरू ए किया चुकिं इन दोनों की मोहल्लें में अतिक्रमण कर रहे H1 N1 (जैसा की आम चर्चा में है बेचारे जीव को लोग क्या बना डालते है) से रोज़ की झिक्क झाय है इसी कारण मैने कुछ खास तवज्जो नही दी कुछ देर बाद आदमी कहे जाने वाले जीव ने भिनभिनाना शुरू ए किया तो मेरे कान खड़े हो गये भाई मामला स्वजाति का था आज काल हिन्दुस्तान मे तो सरकारें इसी जाति वाले फ़ैक्टर पर बनती बिगड़ती है खैर मैं आनुवंशिक स्वजाति की बात कर रहा हूं डार्विन वाली पर यह जातिवाद भी बहुत खतरनाक है इसी वज़ह से तो हमारे प्लेनेट पर विलुप्त रेयर, एन्डैन्जर्ड, एक्सटिन्क्सन जैसे शब्द और समस्यायें अवतरित हुई खैर मैं भिनभिनानें की बात कर रहा था घर से बाहर निकला तो कोइ २० से २५ आदमी औरत सड़क पर थे और एक और निहार रहे थे सहमे से जैसे किसी बाघ ने रास्ता रोक रखा हो कुछ मनुष्य अट्टालिकाओं पर विराजमान होकर कौतूहल टाईप की भावभंगिमा प्रकट कर रहे थे जब मैं वहां पहुंचा तो माजरा संगीन और कष्ट्कारी था एक गाय तार में फ़ंसी हुई सड़क पर अचेत पड़ी थी लोग तमाशबीन थे ऐसा है मेरा मोहल्ला और मेरा ही नही यह तो मेरे पूरे देश की नियति है यदि अपवादों को छोड़ दिया जाये यहां जब कोई महात्मा या भगत सिंह अपना जीवन समर्पित कर देता है कोई चन्द्रशेखर अपने प्राणों की आहुति देता है और कोई अशफ़ाक, विस्मिल या राजनरायन फ़ासी पर झूल जाता है तब इस देश के लोगों की आखें नम होती है और तभी ज्वार भांटा जो कुछ कह ले आप आता है और ये भेड़ बकरियों की तरह चल देते है किला फ़तह करने बसर्ते सर कटवाने वाला मजबूत आदमी आगे आगे हो, ऐसे है हमारे मोहल्लें!!
गाय पीड़ा से कराह रही थी लोग बाग खुद तो जड़ थे यदि मै आगे बढ़ने की कोशिश करता तो मुझे रोकते अरे बिजली है कोइ चिल्लाता डिश (केबल) है अरे केबल है तो इतनी देर से क्या पिक्चर देख रहे थे सड़क पर दौड़ कर छुड़ाया क्यो नही मैने शायद ऐसा ही कुछ अपने मन में कहां !! तभी मुझे एक लड़का नज़र आया जिसके हाथ में बेंत (ड्ण्डा) था वह पोलिओ से पीड़ित था सो मैने उसके हाथ से ड्ण्डा लिया पर तब तक उसे निहारता रहा जब तक मुझे ये विश्वास नही हो गया कि वह अपनी दोनों टांगों पर कुछ देर खड़ा हो लेने में सक्षम है फ़िर डरते हुए बिजली या केबल (अभी यह रहस्य है) के तार को डण्डे से खीचने की कोशिश करने लगा कुछ कुछ यह जानते हुए कि इससे कुछ नही होने वाला आदमी एक जगह जड़्वत खडे़ अभी भी भिनभिना रहे थे तभी एक व्यक्ति उपस्थित हुआ मोहल्ले का ही जो बिजली विभाग में कार्यरत है प्लास के साथ और झट से तार को काट दिया गाय उठ खड़ी हुई मै मुस्करा उठा इस बेह्तरीन स्टंट पर जो मानवीय था अब आदमी और भन्नाने लगे किसका तार है किस के घर गया है केबल है केबल है तब उस आदमी ने जिस ने रक्षा की उस गाय की तार को लोगो की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा लो केबल है तो हाथ में लेकर देख लो अब आदम झटके से पीछे हटे दूर करो ! दूर रहॊ !! ऐसा है मुहल्ला और मेरे मुहल्ले के लोग एक छोटी सी जगह की नियत और व्यवहार बहुत व्यापक तौर पर उस देश या इलाके के लक्षणों को उजागर करता है ।
उस व्यक्ति को धन्यवाद और किस्सा आगे बढाता हूं

कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन

No comments: